सेविंग अकाउंट पर ब्याज दरों में भारी गिरावट – क्या अब भी जरूरी है सेविंग अकाउंट?
आज भी बहुत से लोग अपनी बचत का बड़ा हिस्सा सेविंग अकाउंट में रखते हैं। लेकिन हाल ही में ब्याज दरों में भारी गिरावट ने इस सोच को बदलने पर मजबूर कर दिया है।
2025 में RBI द्वारा रेपो रेट में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद बैंकों ने सेविंग अकाउंट की ब्याज दरों को काफी घटा दिया है।
उदाहरण के तौर पर, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) अब सेविंग अकाउंट पर केवल 2.5% सालाना ब्याज दे रहा है, जो पिछले कई वर्षों में सबसे कम है। निजी बैंक जैसे HDFC Bank, ICICI Bank, और Axis Bank भी लगभग 2.75% प्रति वर्ष की ब्याज दर दे रहे हैं।
हालांकि कुछ छोटे बैंक जैसे IDFC First Bank अधिक ब्याज दर दे रहे हैं – लेकिन वह भी केवल बहुत बड़ी राशि पर, जैसे ₹5 लाख से ₹10 करोड़ तक की जमा राशि पर 7% तक।
बैंक का नाम | सेविंग अकाउंट ब्याज दर |
---|---|
SBI | 2.50% प्रति वर्ष |
HDFC Bank | 2.75% प्रति वर्ष |
ICICI Bank | 2.75% प्रति वर्ष |
Axis Bank | 2.75% प्रति वर्ष (< ₹2000 करोड़) |
IDFC First Bank | 3% से 7% (₹5 लाख से ₹10 करोड़) |
Deutsche Bank India | 2.75% प्रति वर्ष |
सेविंग अकाउंट में पैसा रखना कितना फायदेमंद?
यदि महंगाई दर सेविंग अकाउंट की ब्याज दर से ज्यादा है, तो आपका पैसा असल में घट रहा है। यानी, सेविंग अकाउंट में पड़ा पैसा एक साल बाद उतना मूल्य नहीं रखेगा जितना आज है।
सेबी-रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर अभिषेक कुमार (सहजमनी के संस्थापक) के अनुसार:
“RBI की आक्रामक ब्याज दर कटौती के बाद, अब सेविंग अकाउंट पर रिटर्न महज़ 2.70% (कर पूर्व) रह गया है। ऐसे में बड़ी राशि सेविंग अकाउंट में रखना समझदारी नहीं है, जब अन्य डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स बेहतर रिटर्न और समान लिक्विडिटी दे रहे हैं।”
सेविंग अकाउंट का सही उपयोग क्या है?
“सेविंग अकाउंट का इस्तेमाल केवल डेली ट्रांजैक्शन, जैसे बिल पेमेंट और मासिक खर्चों के लिए करें,” अभिषेक कहते हैं।
कितनी रकम सेविंग अकाउंट में रखें?
“सिर्फ 1 से 2 महीने की जरूरतों के अनुसार बैलेंस रखें। बाकी रकम को अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार FDs, डेब्ट म्यूचुअल फंड्स, या अन्य बचत योजनाओं में निवेश करें।”
सेविंग अकाउंट के विकल्प: बेहतर रिटर्न, समान लिक्विडिटी
अगर आप अपने पैसे को बढ़ाना चाहते हैं, तो अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स बेहतर विकल्प हैं। कुछ प्रमुख विकल्प:
- डेब्ट म्यूचुअल फंड्स – शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों के लिए उपयुक्त
- फिक्स्ड डिपॉजिट्स (FDs) – स्थिर रिटर्न के साथ
- रेकरिंग डिपॉजिट्स (RDs) – रेगुलर सेविंग के लिए अच्छा विकल्प
निष्कर्ष: क्या सेविंग अकाउंट अब भी जरूरी है?
हां, लेकिन सीमित रूप में। सेविंग अकाउंट को केवल एक ट्रांजैक्शन टूल मानिए, न कि इन्वेस्टमेंट टूल। अपने पैसे को महज़ सेविंग अकाउंट में रखकर न घटने दें। समझदारी से निवेश करें और ब्याज दरों में गिरावट के इस दौर में भी अपने पैसे को बढ़ाएं।
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